कार्यकर्ता, कार्यक्रम और कार्यालय के फॉर्मूला पर राहुल गांधी पार्टी में कामकाज के तरीके को बदलेंगे - Rahul gandhi suggests 3k mantra to reverse party fortunes

नई दिल्ली: एक के बाद एक हार का स्वाद चख रही कांग्रेस के सियासी नसीब पलटने के लिए राहुल गांधी ने अब '3K' का फॉर्मूला दिया है. राहुल गांधी की ये पहल पार्टी में कामकाज के तरीके को बदलने की कवायद का हिस्सा है. 3K का मतलब है कार्यकर्ता, कार्यक्रम और कार्यालय.


यूपी में मिली करारी शिकस्त के बाद राहुल गांधी लगातार पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से बैठकें कर रहे हैं. इन्हीं बैठकों से मिले इनपुट के बाद उन्होंने ये मंत्र दिया है. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने निर्देश दिया है कि कार्यकर्ताओं का सम्मान हो और उनकी बात सुनी जाए. राहुल चाहते हैं कि कार्यकर्ताओं को पार्टी में काम मिले जिससे उन्हें अपनी अहमियत का अंदाज हो. यूपीए 2 के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता अक्सर शिकायत करते थे कि नेता और मंत्री उनकी नहीं सुनते. राहुल के मंत्र पर काम भी शुरू हो गया है. एमसीडी चुनाव में कई राज्यों के कार्यकर्ता पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं.


राहुल के फॉर्मूले का दूसरा अहम पहलू पार्टी का कार्यक्रम है. राहुल जानते हैं कि जनता के लिए ऐसे कार्यक्रम चलाए जाएं जिनका जनता से सीधा सरोकार हो. राहुल की राय में नेताओं को अपना कार्यक्रम लोगों पर थोपने के बजाए जनता की नब्ज टटोलकर उनसे जुड़े मुद्दे उठाने चाहिएं. सूत्रों के मुताबिक राहुल को ये बात नोट बंदी के बाद समझ आई. उन्होंने सड़क से लेकर संसद तक इस कदम का विरोध किया. लेकिन जनता इस मुहिम के साथ नहीं जुड़ी.


राहुल गांधी के मंत्र का तीसरा पहलू है कार्यालय. लगातार हार के बाद देश भर में कांग्रेसी दफ्तरों पर निराशा के बादल छाए हैं. इसका असर पार्टी का कामकाज पर भी पड़ रहा है. राहुल चाहते हैं कि पार्टी के पदाधिकारी ना सिर्फ कार्यालय में बैठें बल्कि कार्यकर्ताओं को भी भरपूर वक्त दें. इसके अलावा नई जगहों पर ऐसे कार्यालय खोले जाएं जहां वर्कर्स के साथ आम जनता के लिए भी सुविधाएं हों.


राहुल गांधी को इस बात का ऐहसास है कि पार्टी के साथ अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए उन्हें पार्टी को मजबूत करना होगा. अब तक हवा में रहने वाले पार्टी नेताओं को ज़मीन पर लाना राहुल के लिए बड़ी चुनौती है. इसके साथ ही नए नेताओं को पार्टी से जोड़ना भी उनकी प्राथमिकता है. लेकिन क्या उनका ये प्लान हकीकत में बदलेगा ये बड़ा सवाल है.




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