अलगाववादियों को भारतीय सेना का उम्दा जवाब- Jammu-Kashmir Earth Paradise


जम्मू-कश्मीर:  धरती के स्वर्ग जम्मू-कश्मीर को तबाह करने की नापाक कवायदें पाकिस्तान, सीमापार के आतंकवादी और अलगाववादी एक संयुक्त अभियान के तहत कर रहे हैं. लेकिन जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए तैनात भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के जवान उनके मंसूबों को नाकाम करने के लिए कुछ इस तरह के काम कर रहे हैं जिसमें उन्हें बंदूक चलाने की जरूरत नहीं पड़ रही है बल्कि शिक्षा के माध्यम से खासकर युवाओं को आतंकी दलदल में फंसने से बचाने के प्रयास हो रहे हैं.

उनके इस प्रयास का ही नतीजा है कि जेईई मेन-2017 के इम्तिहान में 28 कश्मीरी छात्र पास हुए हैं और अब इंजीनियर बनने का उनका सपना पूरा हो सकेगा. दिलचस्प बात यह है कि इन पास हुए छात्रों में दो युवतियां भी हैं. ये छात्र उन युवाओँ के लिए एक उम्दा जवाब हैं जो युवा पिछले दिनों सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी कर रहे थे और उनमें कुछ छात्राएं भी शामिल थीं. पत्थरबाजी करने वाले छात्रों में सुरक्षा बलों के प्रति गुस्सा था और अपने ही देश में आजादी की बात कर रहे थे.

कश्मीर में युवाओँ का यह दो रूप हमें दिख रहा है जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि वहां युवाओँ को दिग्भ्रमित किया जा रहा है. जो युवा गलत लोगों के शिकार हो रहे हैं उनके हाथों में पत्थर आ रहे हैं. लेकिन जो यह समझ रहे हैं कि उनके कश्मीर को नरक बनाने की कोशिश हो रही है ऐसे युवा उस माहौल में भी अपना करियर बनाने के लिए भारतीय सेना और सुरक्षा बलों की मदद ले रहे हैं. जेईई मेन परीक्षा पास करने वाले युवा भी उन इलाकों से आते हैं जहां आतंकवादियों का दहशत है.

अलगाववादियों की मदद से आतंकवादी भी उन्हें आतंक के रास्ते आने के लिए दबाव डालते हैं. लेकिन भारतीय सेना पर भरोसा करने वाले छात्र अपनी नई जिंदगी बनाने के लिए आगे आ रहे हैं. भारतीय सेना सुपर 40 के तहत जम्मू-कश्मीर और घाटी से लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर 40 छात्रों का चयन करती है और जेईई मेन की तैयारी मुफ्त में कराती है. इस दौरान ये छात्र सेना परिसर में ही रहते हैं. पिछले साल भी 15 छात्रों ने जेईई मेन की परीक्षा पास की थी.

भारतीय सेना का यह ऐसा काम है जिसे बड़े पैमाने पर अब प्रचारित किया जाना जरूरी है. क्योंकि, जम्मू-कश्मीर के युवाओं को गलत राह पर ले जाने की कोशिश अब राजनीतिक स्तर पर भी होने लगी है. फारूख अब्दुल्ला जैसे नेता का यह कहना कि कश्मीर के युवा अपनी आजादी के लिए पत्थर फेंक रहे हैं. इस तरह की बातों से निश्चित रूप से उन ताकतों को बल मिलता है जिसे कश्मीर के प्यार नहीं है. दूसरी तरफ पाकिस्तान, सीमापार के आतंकवादियों और अलगाववादियों के भी हौसले बुलंद हुए होंगे. इस तरह की आवाज को दबाने के लिए केंद्र और जम्मू-कश्मीर की सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति कमजोर दिखती है. लेकिन शिवसेना इकलौती राजनीतिक पार्टी है जो कश्मीर के मुद्दे पर इस तरह की गंदी राजनीति का हमेशा विरोध करती रही है और सैनिकों के सम्मान के लिए आवाज उठाती है.

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