अखिलेश को अपनी कुर्सी सौंपना मुलायम सिंह यादव के ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल थी - mulayam singh yadav on akhilesh yadav

लखनऊ: समाजवादी पार्टी की कलह एक बार फिर सामने है.मुलायम सिंह यादव ने अपनी बातों से एक फिर अखिलेश यादव के प्रति अपनी नाराजगी को जाहिर कर दिया है. वहीं शिवपाल यादव ने नया मोर्चा बना लिया है. मोर्चा बनाने के शिवपाल के प्रयास को मुलायम परिवार में शिवपाल के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी में पुन:स्थापित करने की कोशिश माना जा रहा है. वह चाहते हैं कि मुलायम पार्टी के मुखिया फिर से बनें. फिलहाल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं, जिन्होंने पिता से पार्टी की कमान छीन ली थी.

पांच साल पहले बड़ी हसरत से बेटे को अपनी विरासत सौंपने वाले मुलायम सिंह यादव को अब अखिलेश को अपनी कुर्सी सौंपना अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल लग रही है. मैनपुरी में मुलायम यादव का दर्द छलका. उन्होंने कहा कि मेरी गलती है. किसी और की गलती नहीं. मुझे ही मुख्यमंत्री बनना चाहिए था. अगर ऐसा होता तो आज ये दिन न देखने पड़ते. साथ ही चुनाव में सपा की हार के लिए मुलायम ने कांग्रेस से गठबंधन को ज़िम्मेदार ठहराया. इस बीच अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल के पांच क़रीबी लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.  अखिलेश यादव ने शिवपाल के 5 करीबी लोगों को पार्टी से निकाला. दीपक मिश्रा, मो.शाहिद, राकेश यादव, कल्लू यादव, राजेश यादव को पार्टी से निकाला.

मुलायम सिंह यादव ने कहा, हमारी जिंदगी बरबाद करने में कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी. कांग्रेस ने उन पर कई मामले दर्ज कराए और अखिलेश ने उसी कांग्रेस से गठबंधन किया. समाजवादी पार्टी जनता की गलती से नहीं खुद अपनी गलती से हारी है. शहीद धर्मेन्द्र यादव की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में करहल के ग्राम जुनेसा आए मुलायम सिंह ने शिवपाल के रामगोपाल को ‘शकुनी’ बताने वाले बयान को सही बताते हुए कहा कि ‘‘शिवपाल को हराने में कोई कसर नही छोड़ी गई, पैसा भी खर्च किया गया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस से गठबंधन सपा की बुरी दशा के लिए जिम्मेदार है. उनके मना करने पर भी अखिलेश ने कांग्रेस से गठबंधन किया.
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