नोटबंदी से जुड़े आंकड़ों ने भारतीय राजनीति में मचा दिया हड़कंप - demonetization report modi government vs opposition arun jaitley

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए गए नोटबंदी से जुड़े आंकड़ों ने भारतीय राजनीति में एक बार फिर हड़कंप मचा दिया है. RBI की आंकड़ों की मानें तो नोटबंदी एक तरह का फ्लॉप शो रहा. जितने बड़े दावे इसको लेकर किए जा रहे थे, वैसा कुछ भी नहीं हुआ. आंकड़े आने के बाद से ही सरकार और विपक्ष के बीच आर-पार की जंग चल रही है. विपक्ष सरकार पर हमलावर है तो सरकार भी पूरे तरह से अपना बचाव कर रही है. सभी ने अपनी-अपनी तरह के तर्क दिए.



आंकड़े आने के बाद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी से रिज़र्व बैंक को 16 हज़ार करोड़ रुपये मिले, लेकिन नए नोट छापने में 21 हज़ार करोड़ रुपये लग गए. सरकार के अर्थशास्त्रियों को तो नोबल अवॉर्ड मिलना चाहिए. वहीं राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा कि नोटबंदी की वजह से कई लोगों की जान गई और आर्थ‍िक नुकसान भी हुआ. ऐसे में क्‍या प्रधानमंत्री अब इसकी जिम्‍मेदारी लेंगे. लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी भी सरकार पर हमलावर दिखे. येचुरी ने ट्वीट कर कहा कि 99 फीसदी नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए हैं, लेकिन इसकी वजह से सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई. कई लोगों की नौकरी छिन गई, देश मोदी सरकार के द्वारा किया गया ये एंटी नेशनल काम कभी नहीं भूल पाएगा.



आंकड़े सामने आने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली को तुरंत मीडिया के सामने आना पड़ा. सरकार का कहना है कि नोटबंदी के फेल हो जाने की बात करने वाले और उसकी आलोचना करने वाले कंफ्यूज़ हैं. ऐसे लोग नोटबंदी के पूरे उद्देश्य को समझ नहीं पा रहे हैं. जेटली का कहना था नोटबंदी के बाद उसके संबंध में कुछ लोग टिप्पणी कर रहे हैं कि नोटबंदी का एक मात्र उद्देश्य ये था कि लोग पैसा जमा ना कराएं और पैसा जब्त हो जाएगा. जिन लोगों ने जीवन में कभी काले धन के खिलाफ जंग नहीं लड़ी, वो शायद इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य समझ नहीं पाए. ये किसी का पैसा जब्त करने का उद्देश्य नहीं था. बैंकिंग सिस्टम में पैसा आ जाए तो इसका मतलब ये नहीं कि वो पूरा पैसा वैध है. इस पैसे के खिलाफ आयकर विभाग पूरी जांच करता है. यही कारण है लाखों लोगों को नोटिस पर डाला गया है. जिसका एक प्रत्यक्ष असर हुआ है कि डायरेक्ट टैक्स बेस बढ़ा है. उससे जीएसटी का प्रभाव भी बढ़ा है.



अरुण जेटली ने बताया कि नोटबंदी का उद्देश्य था कि टैक्स बेस बढ़े. इसका यह भी ये उद्देश्य था कि कालेधन जमा करने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही हो. साथ ही व्‍यवस्‍था से जाली नोट अलग कर पाएं. साथ ही मकसद था लेस कैश व्यवस्था बनाना. साथ ही नोटबंदी से अलगाववादियों को भी आर्थ‍िक चोट पहुंची है. आतंकवादियों के पास पैसे जब्‍त हुए हैं. ऐसे में पैसा व्यवस्था में आ जाए तो वो वैध पैसा नहीं हो जाता है. अरुण जेटली ने कहा कि सरकार के सारे उद्देश्य ट्रैक पर हैं. इसी पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य पैसा जमा करना नहीं था. नोटबंदी से नकली नोटों का पता चला. इसका लक्ष्य टैक्स का दायरा बढ़ाना था. नोटबंदी से आतंकवाद और नक्सलवाद पर असर पड़ा.



जेटली ने बताया कि नोटबंदी का उद्देश्य कैश लेन-देन कम करना था. नकदी का आदान-प्रदान 17 प्रतिशत कम हो गया है. नोटबंदी का प्रभाव सही रास्ते पर है और भविष्य में केंद्र जो भा कदम उठाएगा, उसका आधार उस पर आधारित होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का अगला कदम चुनाव में कालेधन पर रोक लगाना है. जेटली ने कहा कि जिन लोगों को काले धन से निपटने की कम समझ है वही बैंकों में आई नकदी को नोटबंदी से जोड़ रहे हैं. नोटबंदी का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में नकदी पर निर्भरता कम करना, डिजिटलीकरण करना, कर दायरा बढ़ाना और काले धन से निपटना था. नोटबंदी के बाद नकदी की कमी के कारण छत्तीसगढ़ और जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों में गिरावट आई है.



वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जारी रिपोर्ट में इस वक्त 2000₹ के 3285 मिलियन नोट सर्कुलेशन में हैं. 2000 रुपए की कुल वैल्यू 6571 बिलियन रुपए है. इस वक्त देश में 500 के 5882 मिलियन नोट सर्कुलेशन में हैं, जिनकी वैल्यू 2941 बिलियन है. वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार के 3 फरवरी को लोकसभा में दिए गए बयान के मुताबिक 8 नवंबर तक 6.86 करोड़ रुपये से ज्यादा के 1000 के नोट सर्कुलेशन में थे. मार्च 2017 तक सर्कुलेशन वाले 1000 के नोट कुल नोटों का 1.3 फीसदी थे. इसका मतलब 98.7 फीसदी नोट RBI में लौट आए थे . इसका मतलब 98.7 फीसदी 1000 के नोट ही आरबीआई में वापस आए हैं.
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