आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सहयोग को और गहरा करने का संकल्प लिया भारत और यूरोपीय यूनियन ने - india and eu will take action against hafiz saeed zakir rehman lakhvi and dawood ibrahim to fight against terrorism

नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय यूनियन ने वैश्विक प्रतिबंधित आतंकवादियों और मुंबई के 26/11 हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद, जकीउर रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम के खिलाफ ‘निणार्यक और ठोस कार्रवाई’ करके आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सहयोग को और गहरा करने का आज संकल्प लिया. भारत-ईयू 14वें शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष डोनाल्ड फ्रांसिसज़र टस्क और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन-क्लाउड जुंकर ने ‘ आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग पर एक संयुक्त बयान’ को आत्मसात किया जो उनके सामरिक और सुरक्षा सहयोग को गहरा करने की कोशिश करता है.


एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को ईयू नेताओं के साथ संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ हम अपने सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने और आतंकवाद के खिलाफ साथ काम करने पर सहमत हुए हैं. हम इस मुद्दे पर न केवल द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करेंगे बल्कि बहुराष्ट्रीय मंच पर हमारे सहयोग और समन्वय को भी बढ़ाएंगे.’’


टस्क ने कहा, ‘‘ हमने आतंकवाद निरोधी एक संयुक्त घोषणा पत्र को स्वीकार किया है जिसमें हम हिंसक चरमपंथ और कट्टरता को रोकने पर खासतौर पर ऑनलाइन और विदेशी आतंकी लड़कों, आतंकवादी वित्त पोषण तथा हथियार आपूर्ति से प्रभावी तरीके से निपटने पर सहमत हुए हैं.’’ बाद में विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रूचि घनश्याम ने संवाददाताओं को बताया कि यह पहली बार है कि ईयू भारत-ईयू दस्तावेज में न सिर्फ आतंकवादी संस्थाओं बल्कि आतंकवादियों का जिक्र करने पर सहमत हुआ है.



भारत और यूरोपीय यूनियन ने जोर दिया कि कनेक्टिविटी पहल सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, पारदर्शिता और समानता पर आधारित होनी चाहिए. इसे चीन के ओबीओआर परियोजना के संदर्भ में देखा गया है.


यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लाउड जुंकर के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौवहन, विदेशी भूमि के ऊपर से विमान के उड़ने की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय कानून के सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के अनुसार विवादों के समाधान की अहमियत को भी रेखांकित किया. इसे दक्षिण चीन सागर में चीन के मुखरता पर परोक्ष संदर्भ के तौर पर देखा जा रहा है.
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