मेरा स्वभाव है कि बहुत सी चीजें झेलता रहता हूं और झेलने की कैपेसिटी भी बढ़ा रहा हूं. पीएम मोदी - pm narendra modi sad over some people reactions

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने गांधी जयंती के मौके विज्ञान भवन में कहा कि स्वच्छता अभियान के तीन साल में हम आगे बढ़े हैं. बेशक, इसके लिए लोगों ने मेरी आलोचना की कि हमारी 2 अक्टूबर की छुट्टी खराब कर दी. मेरा स्वभाव है कि बहुत-सी चीजें झेलता रहता हूं. झेलना मेरा दायित्व भी है और झेलने की कैपेसिटी भी बढ़ा रहा हूं. पीएम मोदी ने कहा कि कोई इंसान ऐसा नहीं जिसे गंदगी पसंद हो. मूलत: हमारी प्रवृत्ति स्वच्छता पसंद करने की है. हम विदेश जाते हैं तो साफ-सफाई की तारीफ करते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि वहां कोई यहां-वहां कूड़ा नहीं फेंकता.



बेशक, देश का मीडिया जल्द ही ऐसी तस्वीरें छापेगा कि स्वच्छ भारत अभियान से दूर कौन भाग रहा है. जब देश स्वीकार कर लेता है तो आप चाहें या न चाहें आपको उससे जुड़ना पड़ता है. स्वच्छता अभियान भारत सरकार का नहीं, देश के सामान्य आदमी का सपना बन चुका है. अब तक जो सफलता मिली है वह देशवासियों की है, सरकार की नहीं.



पीएम ने कहा-बच्चे स्वच्छता के सबसे बड़े एम्बैसेडर हैं. घर में किसी को कूड़ा इधर-उधर फेंकते देखते हैं तो कहते हैं ऐसा मत करो. अरे जो बात बच्चों के गले उतर गई है वह हमें समझ क्यों नहीं आती. पीएम ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हाथ धोने की कहते हैं तो कहते हैं, पानी तो है नहीं. पीएम मोदी को गाली देने के हजार विषय हैं, मैं हर दिन कुछ न कुछ देता हूं, तो देते रहें, लेकिन अपना दायित्व तो निभाएं.
पीएम मोदी ने कहा कि आज से चार पांच साल पहले टीवी पर कई स्टोरी बनती थी कि स्कूल में बच्चों से सफाई करवाते हैं. आज बदलाव आया है कि किसी स्कूल के बच्चे स्वच्छता अभियान में हिस्सा ले रहे हैं तो टीवी की मेन खबर बन जाती है. अब समाज बदल रहा है. 
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