नई दिल्ली : जूता निर्माता कंपनी प्यूमा ने चावड़ी बाजार में बनाए भित्तिचित्रों के मामले में गुरूवार को मांफी मांग ली है. प्यूमा को यह माफी अपने विज्ञापन अभियान के तहत पुरानी दिल्ली के चावड़ी बाजार में एक ऐतिहासिक इमारत को चित्रित करने के लिए मांगनी पड़ी.
प्यूमा के प्रवक्ता (इंडिया) ने माफी मांगते हुए कहा कि 'हम पूरी ईमानदारी से अपनी गलती स्वीकार करते हैं और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर इमारत को मूल स्थिति को लाने के लिए इमारत के मालिक की हरसंभव मदद का प्रयास करेंगे'. प्रवक्ता ने आगे ये भी कहा कि हमें और घर के मालिक दोनों को इमारत के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी. मालिक की मंजूरी के बाद ही हमने अपने चित्र बनाये.
वीडियो शूट करने का विचार स्थानीय कलाकारों को कला और संगीत के प्रति लगाव बढ़ाने का एक जरिया था. द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के बाद ये मामला संज्ञान में आया. इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (आईएनटीएसीएएच) से बातचीत करने के बाद मामले की गंभीरता का पता चला.
यह मामला इनटेक की दिल्ली चैप्टर की संयोजक स्वप्ना लिडिल द्वारा प्रकाश में लाया गया था, जिन्होंने कहा है कि विरासत स्थलों की पूरक सूची में बिल्डिंग की दीवारें हैं, और कोई भी इसे क्षति नहीं पहुंचा सकता. लिडिल ने कहा कि कंपनी के अधिकारियों ने विज्ञापन तैयार करने के लिए लोगों से बातचीत नहीं की. लिडल ने कहा कि प्यूमा कंपनी को इस इमारत के बारे में बताया, तब जाकर उन्हें ये जानकारी हुई.
लिडिल ने आगे कहा कि कंपनी को ये काम करने से पहले विशेषज्ञों की देखरेख और आवश्यक मंजूरी के बाद ही दीवारों पर चित्र बनाना चाहिए. सोमवार को लिडल ने कहा था कि भित्तिचित्रों ने नक्काशीदार बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, प्लास्टर और लाहौरी ईंटों को स्थायी नुकसान पहुंचाया है, जिससे इमारत को क्षति पहुंची है.
प्यूमा के प्रवक्ता (इंडिया) ने माफी मांगते हुए कहा कि 'हम पूरी ईमानदारी से अपनी गलती स्वीकार करते हैं और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर इमारत को मूल स्थिति को लाने के लिए इमारत के मालिक की हरसंभव मदद का प्रयास करेंगे'. प्रवक्ता ने आगे ये भी कहा कि हमें और घर के मालिक दोनों को इमारत के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी. मालिक की मंजूरी के बाद ही हमने अपने चित्र बनाये.
वीडियो शूट करने का विचार स्थानीय कलाकारों को कला और संगीत के प्रति लगाव बढ़ाने का एक जरिया था. द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के बाद ये मामला संज्ञान में आया. इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (आईएनटीएसीएएच) से बातचीत करने के बाद मामले की गंभीरता का पता चला.
यह मामला इनटेक की दिल्ली चैप्टर की संयोजक स्वप्ना लिडिल द्वारा प्रकाश में लाया गया था, जिन्होंने कहा है कि विरासत स्थलों की पूरक सूची में बिल्डिंग की दीवारें हैं, और कोई भी इसे क्षति नहीं पहुंचा सकता. लिडिल ने कहा कि कंपनी के अधिकारियों ने विज्ञापन तैयार करने के लिए लोगों से बातचीत नहीं की. लिडल ने कहा कि प्यूमा कंपनी को इस इमारत के बारे में बताया, तब जाकर उन्हें ये जानकारी हुई.
लिडिल ने आगे कहा कि कंपनी को ये काम करने से पहले विशेषज्ञों की देखरेख और आवश्यक मंजूरी के बाद ही दीवारों पर चित्र बनाना चाहिए. सोमवार को लिडल ने कहा था कि भित्तिचित्रों ने नक्काशीदार बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, प्लास्टर और लाहौरी ईंटों को स्थायी नुकसान पहुंचाया है, जिससे इमारत को क्षति पहुंची है.
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