गुरुग्राम के फोर्टिस अस्‍पताल पर आपराधिक मामला दर्ज कराया हरियाणा सरकार ने - fir registered against gurugrams fortis hospital in dengue death case

नई दिल्‍ली/गुरुग्राम : डेंगू पीड़ित बच्ची की मौत मामले में हरियाणा सरकार ने कड़ा रुख दिखाते हुए गुरुग्राम के फोर्टिस अस्‍पताल पर आपराधिक मामला दर्ज कराया है. अस्‍पताल के खिलाफ आईपीसी की धारा 304(2) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. दरअसल, गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में डेंगू के इलाज के दौरान सात साल के आद्या की मौत हो गई थी. आद्या के माता-पिता को उसके शव को 18 लाख रुपये का भुगतान करने के बाद ले जाने दिया गया. आद्या के माता-पिता ने आरोप लगाया था कि अस्पताल ने उनकी बेटी को इलाज के दौरान प्रतिक्रियाहीन रहने पर भी तीन दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा. लड़की की मौत 14 सितंबर को हुई थी.

राज्‍य के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनिल विज ने न्‍यूज एजेंसी ANI को बताया कि स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने सुशांत लोक पुलिस स्‍टेशन में फोर्टिस अस्‍पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. मौत चिकित्सीय लापरवाही के कारण हुई थी.

इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने शनिवार को कहा कि उनके विभाग ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को लीज की शर्तों का कथित उल्लंघन करने पर गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल की जमीन लीज रद्द करने के लिए पत्र लिखा है. विज ने अंबाला में संवाददाताओं से कहा, 'गुड़गांव में 2004 में फोर्टिस अस्पताल को हुड्डा ने कुछ शर्तों के साथ जमीन दी थी जिनमें 20 फीसदी बिस्तर गरीबों के लिए आरक्षित करने जैसी शर्तें शामिल थी, लेकिन वह ये बिस्तर गरीबों को उपलब्ध नहीं करा रहा है. अतएव हमने हुड्डा को उसका लीज रद्द करने के लिए पत्र लिखा है क्योंकि उसने संधि की शर्तों का उल्लंघन किया है'.



इससे पहले दिल्ली सरकार ने बीते 8 दिसंबर को कथित चिकित्सकीय लापरवाही को लेकर शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया था. शहर के इस प्रतिष्ठित अस्पताल के खिलाफ जुड़वां बच्चों सहित अन्य मामलों में कथित चिकित्सकीय लापरवाही को लेकर कार्रवाई की गई है. जुड़वां बच्चों के मामले में मृत घोषित किये गए बच्चों में से एक जीवित पाया गया था. सरकार की तीन सदस्यीय जांच समिति ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी. इसके बाद यह फैसला किया गया. जैन ने इस घटना को ‘अस्वीकार्य’ बताया.

बता दें कि अस्पताल में डेंगू से पीड़ित सात वर्षीय बच्ची की मौत और उसके अभिभावकों से ज्यादा पैसे लेने संबंधी मामले की जांच कर रही एक समिति ने अपनी जांच में पाया कि इस मामले में अस्पताल की तरफ से कई अनियमितताएं हुई. हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बीते बुधवार को कहा था कि इस संबंध में राज्य सरकार प्राथमिकी दर्ज कराएगी. विज ने कहा, 'साधारण शब्दों में, यह मौत नहीं बल्कि हत्या थी.' जांच समिति के सदस्यों से घिरे हुए विज ने कहा कि कई तरह की अनियमितताएं हुईं, कई तरह की अनैतिक चीजें हुईं और प्रोटोकॉल तथा चिकित्सीय कर्तव्यों का पालन नहीं किया गया.

विज ने कहा था कि हरियाणा का स्वास्थ्य विभाग इस निजी अस्पताल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराएगा और इसके ब्लड बैंक का लाइसेंस भी रद्द किया जाएगा. अस्पताल द्वारा लीज पर ली हुई जमीन पर भी विचार किया जा सकता है. विज ने दावा किया कि लड़की को जो इलाज मुहैया कराया गया था, उस पर भारी-भरकम फायदा कमाया गया. कहीं-कहीं यह फायदा 108 फीसदी से लेकर 1,737 फीसदी तक था. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्लेटलेट्स चढ़ाने में भी ज्यादा पैसा वसूलने की बात सामने आई है.
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