भारत के कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में यूनेस्को की मान्यता - unesco listed kumbh mela as india intangible cultural heritage of humanity

नई दिल्ली: यूनेस्को की ओर से भारत के कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता देने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खुशी जाहिर करते हुए इसे भारत के लिए गर्व का विषय बताया है.

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘यह भारत के लिये बहुत खुशी और गर्व का विषय है.’ बता दें कि यूनेस्को ने भारत के कुंभ मेले को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है जो इस आध्यात्मिक महोत्सव की बड़ी स्वीकार्यता है. कुंभ मेले को दुनिया का सबसे बड़ा महोत्सव माना जाता है, जहां लाखों लोग पवित्र नदियों के किनारे स्नान के लिए दुनिया भर से जमा होते हैं.



विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी शुक्रवार को ट्वीट करते हुए इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की थी. उन्होंने लिखा, 'यह बताते हुए खुशी हो रही है कि यूनेस्को की ओर से भारत के कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी गई है, बीते दो साल में यह दूसरा मौका है, इससे पहले 2016 में योग की मान्यता दी गई थी'.




कुंभ मेले को यह मान्यता यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण संबंधी अंतर सरकारी समिति ने प्रदान की है. कुंभ मेले को ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची’ में शामिल करने का निर्णय दक्षिण कोरिया के जेजू में हुए अपने 12वें सत्र में लिया गया.

विदेश मंत्रालय ने बताया कि यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण संबंधी अंतर सरकारी समिति की बैठक 4 से 9 दिसंबर के बीच हो रही है. योग और नवरोज के बाद पिछले करीब दो वर्षो में इस प्रकार की मान्यता प्राप्त करने वाला कुंभ मेला तीसरी धरोहर है. कुंभ मेला को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान करने की सिफारिश करते हुए विशेषज्ञ समिति ने कहा था कि यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण जमावड़ा है.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि समिति के अनुसार यह महोत्सव व्यापक और शांतिपूर्ण है और इसका आयोजन भारत के इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में किया जाता है. इस दौरान भारत में पवित्र नदी के किनारे पूजा अर्चना की जाती है. यह धार्मिक महोत्सव सहिष्णुता और समावेशी प्रकृति को प्रदर्शित करता है और इसमें बिना किसी भेदभाव के लोग हिस्सा लेते हैं.


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