नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की महंगी कीमतों की मार झेल रहे लोगों को इससे राहत की अभी एक साल तक उम्मीद और नहीं करना चाहिए. बजट पेश होने के दूसरे दिन ही शुक्रवार को केंद्रीय वित्त सचिव हसमुख अढिया ने यह बात साफ कर दी कि भले ही पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर इसकी सबसे ऊंची टैक्स दर 28 फीसदी लगा दी जाए, लेकिन इनकी कीमतें कम नहीं होंगी.
अढिया ने कहा, 'पेट्रोल-डीजल पर कितना टैक्स होना चहिए, ये नीतिगत मामला है'. इसमें लोकनीति का ध्यान रखा जाता है कि लोग कम वाहनों का उपयोग करें. सरकार इस कारण के चलते पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं कर सकती. यही कारण है कि सरकार पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के बाद भी इनकी कीमतों में बहुत ज्यादा कमी नहीं कर सकती है. वहीं अगले साल मार्च-अप्रैल 2019 में जीएसटी से मिले राजस्व की स्थिति भी साफ हो जाएगी. इसके बाद सभी पहलुओं को देखते हुए पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी की दर तय की जा सकेगी.
बजट में पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी के मुद्दे का जिक्र न होने पर अढिया ने साफ करते हुए कहा, ' चूंकि बजट के साथ जीएसटी का कोई लेना - देना नहीं है, लिहाजा बजट में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी की सीमा में लाने पर विचार होना ही नहीं था. पेट्रोल-डीजल के ऊपर एक्साइज ड्यूटी कम की गई है. इसके बाद इन पर सेस लगाया गया है. इस सेस से मिलने वाला पैसा राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर इस्तेमाल होगा'.
वित्त सचिव अढिया ने कहा कि 40,000 रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन से वेतन भोगियों को ही फायदा होगा. सरकार ने कड़ाई नहीं की है, जिससे उन पर टैक्स का ज्यादा बोझ नहीं आएगा. रेवन्यू में सुधार होने पर सरकार इस वर्ग को और राहत देने के लिए कदम उठाएगी.
अढिया ने कहा, इक्विटी में निवेश से लांग टर्म गेन में सरकार को कुछ तो टोकन मनी मिलना चाहिए. लोगों ने इक्विटी में निवेश से सालाना 3,067 करोड़ का लांग टर्म गेन कमाया है. इस टैक्स से सरकार को अगले साल 20 हजार करोड़ रुपए कमा सकती है.
सरकार के बढ़ते वित्तीय राजकोष घाटे के कारण भारत की सॉवरेन रेटिंग में सुधार थम गया है. अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच का यह बयान सरकार के बजट के एक दिन बाद आया है. फिच रेटिंग्स इंडिया के डायरेक्टर थॉमस रुकमाकर ने कहा, सरकार पर जीडीपी के करीब 68 फीसदी के बराबर कर्ज का बोझ है. इसमें यदि राज्यों को शामिल किया जाए तो यह कर्ज 6.5 फीसदी और बढ़ जाएगा.
250 करोड़ रुपए तक कारोबार करने वाली एमएसएमई कंपनियों को टैक्स में राहत नहीं मिलने पर बड़ी कंपनियों ने इसे निराशाजनक बताते हुए कहा कि इससे वे भारत में प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाएंगे.
अढिया ने कहा, 'पेट्रोल-डीजल पर कितना टैक्स होना चहिए, ये नीतिगत मामला है'. इसमें लोकनीति का ध्यान रखा जाता है कि लोग कम वाहनों का उपयोग करें. सरकार इस कारण के चलते पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं कर सकती. यही कारण है कि सरकार पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के बाद भी इनकी कीमतों में बहुत ज्यादा कमी नहीं कर सकती है. वहीं अगले साल मार्च-अप्रैल 2019 में जीएसटी से मिले राजस्व की स्थिति भी साफ हो जाएगी. इसके बाद सभी पहलुओं को देखते हुए पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी की दर तय की जा सकेगी.
बजट में पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी के मुद्दे का जिक्र न होने पर अढिया ने साफ करते हुए कहा, ' चूंकि बजट के साथ जीएसटी का कोई लेना - देना नहीं है, लिहाजा बजट में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी की सीमा में लाने पर विचार होना ही नहीं था. पेट्रोल-डीजल के ऊपर एक्साइज ड्यूटी कम की गई है. इसके बाद इन पर सेस लगाया गया है. इस सेस से मिलने वाला पैसा राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर इस्तेमाल होगा'.
वित्त सचिव अढिया ने कहा कि 40,000 रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन से वेतन भोगियों को ही फायदा होगा. सरकार ने कड़ाई नहीं की है, जिससे उन पर टैक्स का ज्यादा बोझ नहीं आएगा. रेवन्यू में सुधार होने पर सरकार इस वर्ग को और राहत देने के लिए कदम उठाएगी.
अढिया ने कहा, इक्विटी में निवेश से लांग टर्म गेन में सरकार को कुछ तो टोकन मनी मिलना चाहिए. लोगों ने इक्विटी में निवेश से सालाना 3,067 करोड़ का लांग टर्म गेन कमाया है. इस टैक्स से सरकार को अगले साल 20 हजार करोड़ रुपए कमा सकती है.
सरकार के बढ़ते वित्तीय राजकोष घाटे के कारण भारत की सॉवरेन रेटिंग में सुधार थम गया है. अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच का यह बयान सरकार के बजट के एक दिन बाद आया है. फिच रेटिंग्स इंडिया के डायरेक्टर थॉमस रुकमाकर ने कहा, सरकार पर जीडीपी के करीब 68 फीसदी के बराबर कर्ज का बोझ है. इसमें यदि राज्यों को शामिल किया जाए तो यह कर्ज 6.5 फीसदी और बढ़ जाएगा.
250 करोड़ रुपए तक कारोबार करने वाली एमएसएमई कंपनियों को टैक्स में राहत नहीं मिलने पर बड़ी कंपनियों ने इसे निराशाजनक बताते हुए कहा कि इससे वे भारत में प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाएंगे.
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