अमेरिका की तरह ही भारत और चीन के बीच कोरोबार में है बड़ा व्यापार घाटा - donald trump china trade deficit also challenge for narendra modi india

वाशिंगटन: वैश्विक स्तर पर ट्रेड वॉर की स्थिति लगातार खराब हो रही है. पहले अमेरिका ने स्टील और एल्यूमीनियम इंपोर्ट पर 25 और 10 फीसदी क्रमश: अतिरिक्त टैरिफ का ऐलान किया. जवाब में चीन ने अमेरिका से इंपोर्ट होने वाले 128 उत्पादों पर 3 अरब डॉलर का टैरिफ ठोक दिया. दोनों देशों के बीच मचा यह घमासान यहीं नहीं खत्म नहीं हो रहा. अब अमेरिका ने चीन से इंपोर्ट हो रहे लगभग 1300 उत्पादों पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ का ऐलान किया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि उन्हें अपने सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर चीन से व्यापार में एक बड़ा घाटा उठाना पड़ रहा है. ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से अमेरिका को लगभग 50 अरब डॉलर का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है. अमेरिका की दलील है कि चीन के साथ इन उत्पादों में कारोबार का सीधा फायदा चीन की कंपनियों को मिल रहा है.

राष्ट्रपति ट्रंप की दलील है कि अमेरिका अब वैश्विक व्यापार में ऐसी नीतियों के तहत काम नहीं करेगा जिसे अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की नियत से बनाया गया है. गौरतलब है कि अमेरिका का आरोप है कि चीन ने अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की नियत से एक लचर औद्योगिक नीति का सहारा लिया है. ट्रंप का दावा है कि ऐसी औद्योगिक नीति न सिर्फ वैश्विक कारोबार के लिए खतरा है बल्कि इससे  वैश्विक सुरक्षा पर भी खतरा पैदा होता है.

ट्रंप सरकार के इन फैसलों पर चीन ने अपना रुख साफ किया है. चीन सरकार ने कहा कि वह अमेरिका के साथ किसी भी मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है. लेकिन चीन ने यह दावा भी किया है कि यदि अमेरिकी सरकार वैश्विक कारोबार में उसके खिलाफ कोई जंग छेड़ने की कोशिश कर रही है तो चीन इस जंग में अंत तक अमेरिका का विरोध करता रहेगा.



गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार ने चीन के जिन 1300 उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाया है उसे वह आम करते हुए देश में आम आदमी की प्रतिक्रिया लेने जा रहा है. इस प्रतिक्रिया के बाद अमेरिकी सरकार उन सभी उत्पादों की सूची जारी कर देगा जिसपर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ वसूला जाएगा. अमेरिकी सरकार द्वारा अधिक टैरिफ के लिए प्रस्तावित इन 1300 उत्पादों में उसका सर्वाधिक कारोबार चीन के साथ होता है.

चीन और अमेरिका दुनिया में एक दूसरे के सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर हैं और इन दोनों के बीच कारोबार प्रभावित होने पर वैश्विक कारोबार पर गंभीर असर पड़ना जायज है. अमेरिका ने दावा किया है कि चीन के साथ उसका व्यापार घटा लगभग 375 बिलियन डॉलर का है और ट्रंप प्रशासन किसी भी कीमत पर इस घाटे को पाटने के लिए तैयार हैं. वहीं चीन ने ट्रंप सरकार द्वारा दिए व्यापार घाटे के आंकड़ों पर सवाल उठाया है. चीन का कहना है कि अमेरिका व्यापार घाटे के आंकड़ों को बढ़ाचढ़ा कर दिखा रहा है.



अमेरिका की तरह ही भारत और चीन के बीच कोरोबार में एक बड़ा व्यापार घाटा है. मोदी सरकार के लिए इस घाटे को पाटने की चुनौती है. दरअसल इस व्यापार घाटे का सीधा मतलब है कि हम चीन से जितना उत्पाद और सेवाएं खरीदता है उससे कम उत्पाद और सेवाएं वह चीन के बाजार में बेचते है.

मोदी सरकार लंबे समय से कोशिश में है कि चीन से व्यापार घाटे को पाटा जा सके. उत्पाद क्षेत्र में चीन से भारत का व्यापार घाटा लगभग 51 बिलियन डॉलर है वहीं सेवा क्षेत्र में यह घाटा 270 मिलियन डॉलर के आसपास है. वित्त वर्ष 2017-18 अप्रैल से जनवरी के दौरान भारत ने चीन को 10.3 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जबकि इस दौरान चीन ने भारत को लगभग 63.2 बिलियन डॉलर का आयात किया, लिहाजा भारत को इस दौरान लगभग 52.9 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा उठाना पड़ा.



Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment