अतुल गवांडे बने बर्कशियर, ऐमजॉन, जेपी मॉर्गन की साझा कंपनी के प्रमुख- atul-gawande-appointed-ceo-of-amazon

नई दिल्ली: बर्कशियर हैथवे, ऐमजॉन और जेपी मॉर्गन ने अपनी साझी कंपनी का नेतृत्व अतुल गवांडे के हाथों सौंप दिया। दुनिया की इन तीन दिग्गज कंपनियों ने बुधवार को जिस गवांडे का चुनाव किया, वह चिकित्सा क्षेत्र की ऐसी हस्ती हैं जो मेडिकल इंडस्ट्री के क्रियाकलापों की घोर आलोचना करते रहे हैं। तीनों कंपनियों का नया वेंचर अमेरिकी शहर बोस्टन से संचालित होगा। बर्कशियर, ऐमजॉन और जेपी मॉर्गन ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि नई कंपनी पर मुनाफा कमाने का कोई दबाव नहीं होगा। तीनों कंपनियों ने जनवरी में ऐलान किया था कि वे अपने अमेरिकी कर्मचारियों के खर्चे कम करने के लिए एक हेल्थकेयर कंपनी लॉन्च करेंगी। इस खबर से सीवीएस हेल्थ और एक्सप्रेस स्क्रिप्ट्स समेत विभिन्न हेल्थकेयर सप्लाइ चेन के शेयर चढ़ गए। गवांडे हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रफेसर हैं। वह बर्मिंगम में जनरल और एंडोक्राइन सर्जन के रूप में कार्यरत हैं। इसके अलावा वह एक बेस्टसेलिंग ऑथर भी हैं। 2014 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'बीइंग मोर्टलः मेडिसिन ऐंड वॉट मैटर्स इन द एंड' में गवांडे ने दवा के दम पर बुजुर्गों की दयनीय जिंदगी को खींचते रहने की कड़ी आलोचना की है। ऐमजॉन के जेफ बेजॉस और जेपी मॉर्गन के जेमी डिमॉन के साथ नए वेंचर के लिए काम कर रहे बर्कशियर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरन बफेट ने कहा कि इस बड़े काम में जुटे सारे लोग मानते हैं कि वे अच्छी चिकित्सा सुविधा देने के साथ-साथ इसकी बढ़ती लागत पर लगाम भी लगा सकते हैं। बफेट ने बयान जारी कर कहा, 'जेमी, जेफ और मुझे विश्वास है कि हमने अतुल के रूप में वह लीडर चुना है जो महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम देंगे।' बफेट ने अमेरिका में चिकित्सा सुविधाओं की लागत को अमेरिकी बिजनस घरानों पर लगा कीड़ा बताया जिसकी वजह से कंपनियां दूसरे देशों में अपने प्रतिद्वंद्वियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पातीं। उन्होंने पिछले महीने कहा था कि चुनौती पूरी हेल्थकेयर इंडस्ट्री को बदलने की है, न कि कुछ खास सेंगमेंट्स को। हालांकि, इसकी कोई गारंटी नहीं है कि नया वेंचर चिकित्सा सुविधा की लागत घटाने में कामयाब होगा ही, लेकिन बफेट का कहना है कि इस दिशा में प्रयास करने की अच्छी व्यवस्था की गई है। ऐमजॉन, बर्कशियर और जेपी मॉर्गन में कुल मिलाकर 10 लाख लोग काम करते हैं। कुछ अन्य बड़ी अमेरिकी कंपनियां अपने कर्मचारियों की सेहत का ध्यान खुद रखने लगी हैं और इसका जिम्मा बीमा कंपनियों पर छोड़ने का सिलसिला थम रहा है। मसलन, सिस्को ने स्टैंडफर्ड मेडिकल सिस्टम से सीधा समझौता करके पिछले साल से अपने कर्मचारियों को मेडिकल प्लान देना शुरू कर दिया है।
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