नई
दिल्ली
सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक अपने यूजर्स की डेटा प्रिवेसी को लेकर लगातार
विवादों में है। अब एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक ने कुछ कंपनियों के
साथ एक सीक्रेट डील की थी जिसके तहत उन कंपनियों को यूजर्स के डेटा रिकॉर्ड
का स्पेशल ऐक्सेस दिया गया था। शनिवार को एक मीडिया रिपोर्ट में फेसबुक की
इस कस्टमाइज्ड डेटा-शेयरिंग डील की जानकारी सामने आई।वॉल स्ट्रीट जर्नल की
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि फेसबुक ने कुछ
कंपनियों के साथ समझौते किए जिन्हें इंटरनली 'whitelists' नाम से जाना
जाता है। इन समझौतों के तहत, कुछ कंपनियों को यूजर के फेसबुक फ्रेंड्स जैसी
अतिरिक्त जानकारियों का ऐक्सेस दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, 'सूत्रों ने
बताया कि इन कंपनियों के पास यूजर के फोन नंबर्स देखने की भी सुविधा थी।
इसके अलावा, 'फ्रेंड लिंक' नाम के एक मीट्रिक के जरिए यूजर्स और उनके
नेटवर्क में मौज़ूद दूसरे लोगों की निकटता के बारे में भी पता लगाने का
साधन था।'
वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, वाइटलिस्ट डील में शामिल होने वाली कंपनियों
में रॉयल बैंक ऑफ कनाडा और निसान मोटर्स को. जैसी कंपनियां शामिल हैं। इन
कंपनियों के विज्ञापनों को भी फेसबुक पर देखा गया। इस बारे में जानकारी
देने वाले लोगों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
बता दें कि हाल ही में खबर आई थी कि फेसबुक ने कम से कम 60 डिवाइस
निर्माताओं के साथ डेटा शेयरिंग पार्टनरशिप की थी। फेसबुक ने डेटा शेयरिंग
की बात को स्वीकारते हुए कहा था कि कुछ चीनी कंपनियों जैसे Huawei, लेनोवो,
ओप्पो के साथ डेटा साझा किया गया। इस डेटा में यूजर के फ्रेंडलिस्ट की
जानकारी शामिल थी। लेकिन इनमें से अधिकतर के साथ पार्टनरशिप 2015 में खत्म
हो गई थी जबकि कुछ कंपनियों के साथ साझेदारी कुछ हफ्तों और महीनों के लिए
बढ़ाई गई।वॉल
स्ट्रीट में छपा है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये डील्स कब खत्म हुईं और
कितनी कंपनियों के साथ डील को बढ़ाया गया। पब्लिकेशन को फेसबुक के
प्रॉडक्ट पार्टनरशिप के वाइस प्रेसिडेंट ने बताया, 'हमे पिछले 11 सालों से
भी ज्यादा समय से डिवेलपर्स के साथ सैद्धांतिक और सिलसिलेवार तरीके से काम
कर रहे हैं।' उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ कंपनियों के साथ डील को 2015 के
बाद भी बरकरार रखा गया।
उन्होंने आगे कहा, 'हम समय के साथ इन डील्स को खत्म कर रहे थे,लेकिन कुछ कंपनियों ने थोड़े समय के लिए पार्टनरशिप को बढ़ाने की मांग की और इसीलिए हमने उनके साथ काम किया। इसके अलावा, हर तरह की डील खत्म कर दी गईं थीं।'
गौर करने वाली बात है कि फेसबुक को दुनियाभर में 87 मिलियन लोगों के निजी डेटा को ब्रिटेन की कैंब्रिज ऐनालिटिका के साथ साझा करने के लिए निंदा का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने आगे कहा, 'हम समय के साथ इन डील्स को खत्म कर रहे थे,लेकिन कुछ कंपनियों ने थोड़े समय के लिए पार्टनरशिप को बढ़ाने की मांग की और इसीलिए हमने उनके साथ काम किया। इसके अलावा, हर तरह की डील खत्म कर दी गईं थीं।'
गौर करने वाली बात है कि फेसबुक को दुनियाभर में 87 मिलियन लोगों के निजी डेटा को ब्रिटेन की कैंब्रिज ऐनालिटिका के साथ साझा करने के लिए निंदा का सामना करना पड़ रहा है।
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