भारत बंद: कांग्रेस के किसी भी आयोजन में शामिल होने से ममता बनर्जी कतरा क्‍यों रही हैं?

नई दिल्‍ली: बीजेपी के अगले 50 वर्षों तक सत्‍ता में बने रहने के दावे के बीच पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों के मुद्दे पर कांग्रेस 10 सितंबर को भारत बंद का आह्वान करते हुए सड़कों पर उतर आई है. 20 से भी अधिक विपक्षी दल कांग्रेस को इस मसले पर समर्थन दे रहे हैं लेकिन एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने कांग्रेस की अगुआई वाले किसी कदम का सीधेतौर पर समर्थन नहीं करने का फैसला किया है. इससे पहले भी कई मौकों पर तृणमूल कांग्रेस की नेता ने कांग्रेस से दूरी बनाए रखी है. फेडरल फ्रंट राजनीतिक गलियारे में 2019 के आम चुनावों को इसके पीछे मुख्‍य कारण बताया जा रहा है. दरअसल सूत्रों के मुताबिक आम चुनावों के ऐन पहले कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्‍व में भारत बंद के आयोजन के साथ बीजेपी के खिलाफ सबसे बड़ी संघर्षशील ताकत के रूप में उभरते हुए दिखना चाहती है. इस तरह वह विपक्ष की धुरी बनना चाहती है. ऐसा होने की स्थिति में स्‍वाभाविक रूप से कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी विपक्ष के सबसे बड़े नेता बनेंगे. इसी कारण ममता बनर्जी कांग्रेस की अगुआई वाले किसी अभियान का हिस्‍सा नहीं बनना चाहती. वह दरअसल गैर-कांग्रेसी और गैर-बीजेपी क्षेत्रीय शक्तियों को एकजुट कर तीसरी ताकत के रूप में आम चुनाव में उतरना चाहती हैं.इस कड़ी में उन्‍होंने तेलंगाना के मुख्‍यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ मिलकर एक फेडरल फ्रंट बनाने की बात कही थी. ओडिशा के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक जैसे नेताओं को उससे जुड़ने के लिए संपर्क भी साधा गया था. लेकिन राज्‍यसभा उपसभापति चुनाव में नवीन पटनायक ने बीजेपी के नेतृत्‍व वाले एनडीए का समर्थन कर परोक्ष रूप से अपने इरादे जाहिर कर दिए. इसी तरह के चंद्रशेखर राव ने विधानसभा भंग के ऐलान के साथ ही राहुल गांधी को सबसे बड़ा 'मसखरा' बताकर स्‍पष्‍ट कर दिया है कि वह एनडीए के खेमे में जा सकते हैं. इस तरह फेडरल फ्रंट की कमान अब ममता बनर्जी के हाथ में है. सूत्रों के मुताबिक वह कांग्रेस के बरक्‍स विपक्षी दलों को इस फ्रंट के माध्‍यम से एक बैनर उपलब्‍ध करा रही हैं.राजनीतिक जानकारों के मुताबिक ये इंद्रधनुषी फेडरल फ्रंट क्षेत्रीय क्षत्रपों की अपनी इलाकाई ताकत के दम पर बुना जाएगा. इसकी सूत्रधार ममता बनर्जी होंगी और 2019 के चुनावों के बाद प्रदर्शन के आधार पर कांग्रेस के साथ तालमेल पर बातचीत की जाएगी. ऐसा इसलिए भी क्‍योंकि ये शक्तियां कांग्रेस से किसी भी तरह के चुनाव पूर्व तालमेल को अपने लिए रणनीतिक लिहाज से मुफीद नहीं मान रही हैं. संभवतया इसलिए ही तृणमूल कांग्रेस ने इस बंद से दूर रहने का निर्णय किया है.
Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment