सरेंडर करने वालों में बलूच रिपब्लिकन आर्मी, बलूच लिबरेशन आर्मी, यूनाइटेड बलूच आर्मी और लश्कर-ए-बलूचिस्तान के विद्रोही शामिल हैं. इनमें कम से कम आठ सीनियर कमांडर शामिल हैं. ये लोग क्वेटा, डेरा बुगती समेत कई जगहों पर सेना के ठिकानों पर हमले में शामिल रहे हैं. सरेंडर करने वालों ने पाकिस्तानी सरकार के साथ वफादारी की शपथ ली.
बलूचिस्तान की सरकार ने इस मौके पर क्वेटा में समारोह का आयोजन किया था. इसमें पाकिस्तानी सेना के आला अफसरों के अलावा बलूचिस्तान के सनाउल्लाह जेहरी शरीक हुए. उन्होंने विद्रोहियों को रोजगार मुहैया करवाने का भरोसा दिलाया. जेहरी का कहना था कि उन्होंने हिंसा में अपने भाई और बेटे को खोया है लेकिन इसके बावजूद वो विद्रोहियों को माफ करते हैं. जेहरी ने आरोप लगाया कि बलूचिस्तान में विदेशी खुफिया एजेंसियां हिंसा को हवा दे रही हैं.
इस सरेंडर के बावजूद बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन थमने की कोई उम्मीद नहीं है. करीब 70 लाख आबादी वाला बलूचिस्तान पाकिस्तान के चार प्रांतों में आकार के हिसाब से सबसे बड़ा है. प्राकृतिक संपदा के मामले में भी ये पाकिस्तान का सबसे अमीर हिस्सा है. इसके बावजूद यहां के लोग गरीबी के साथ पाकिस्तानी सेना की ज्यादती का शिकार हैं. 2004 से यहां के स्थानीय संगठनों ने आजादी की मांग को लेकर हथियारबंद आंदोलन चलाया है. पाकिस्तान-चीन इकनॉमिक कॉरिडोर बलूचिस्तान से होकर गुजरेगा. इसी प्रोजेक्ट में बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को भी विकसित किया जा रहा है.
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