गोरखपुर के लोकल इलाके से ही सिलेंडर ले लेते तो शायद बचाई जा सकती थी 30 बच्चों की जान - gorakhpur brd hospital child death

गोरखपुर: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई लगभग 70 बच्चों की मौत की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझी है. ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कमी के कारण बच्चों को सप्लाई नहीं मिल सकी, लेकिन सरकार अभी भी कुछ नहीं कर सकी है. ना ही कोई एफआईआर दर्ज हुई है, ना ही किसी दोषी को पकड़ा गया है. अब इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है.


कहा जा रहा है कि घटना होने से एक दिन पहले ही यह साफ हो गया था कि ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कमी है. लेकिन फिर भी उन्हें मंगाया नहीं गया था. अधिकारियों ने सिलेंडर गोरखपुर से 350 किमी. दूर इलाहाबाद से मंगाने चाहे, क्योंकि यह सब एक टेंडर प्रक्रिया के जरिए होता है. लेकिन अगर अधिकारी इस चक्कर में ना पड़ते और लोकल इलाके से ही सिलेंडर ले लेते तो शायद लगभग 30 बच्चों की जान बचाई जा सकती थी. अधिकारियों ने इलाहाबाद और फैजाबाद से सिलेंडर मंगाए, जब घटना हुई तो सिलेंडर रास्ते में ही थे और बच्चे मौत से जूझ रहे थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जापानी बुखार के कारण लगभग 500 मौतें हो चुकी हैं. 1 जनवरी से लेकर 13 अगस्त तक लगभग 1208 तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) के केस आए, जिनमें से 152 की मौत हुई.


बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई मौतों में एक बच्चे के पिता राजभर ने अपने बच्चे को खोने के बाद राज्य के स्वास्थय मंत्री, मेडिकल एजुकेशन मंत्री और प्रिंसिपल हेल्थ सेकेट्ररी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. लेकिन कोई FIR दर्ज नहीं हुई. वहीं अभी तक किसी भी मामले की एफआईआर नहीं हुई है, ना ही किसी का पोस्टमार्टम हुआ है. इस खुलासे से साफ है कि कुछ अधिकारी अपने जान-पहचान की सप्लाई कंपनियों को फायदा पहुंचाना चाहते थे. यही कारण रहा है कि उन्होंने गोरखपुर से सिलेंडर नहीं लिए और इलाहाबाद या फैजाबाद से मंगाने चाहे. यानी अधिकारियों का भ्रष्टाचार बच्चों की मौत का कारण रहा.


इससे पहले खबर आई थी कि 69 लाख रुपये का भुगतान न होने की वजह से ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई ठप कर दी थी. हालांकि अस्पताल प्रशासन और यूपी सरकार यह कह रही है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है. यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह का कहना था कि अगस्त महीने में आमतौर पर इंसेफेलाइटिस से ज्यादा बच्चे मरते हैं और यह मौतें भी ऐसी ही हैं.
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