राज्यसभा चुनाव में नोटा पर तत्काल रोक लगाने से मना कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने - nota supreme court congress rajya sabha polls bjp election commission

नई दिल्ली: गुजरात में 8 अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प के इस्तेमाल को लेकर तकरार पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस को तत्काल राहत देने से इनकार किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कांग्रेस की तरफ से याचिका दायर में देरी का जिक्र करते हुए नोटा पर तत्काल रोक लगाने से मना कर दिया. कोर्ट ने इस संबंध में चुनाव आयोग को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई 13 सितंबर के लिए टाल दी है.

दरअसल वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पेश से वकील कपिल सिब्बत ने राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल पर खिलाफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमिताभ रॉय और जस्टिस एएम खानविलकर की सदस्यता वाली पीठ के समक्ष याचिका दायर कर फौरन सुनवाई का अनुरोध किया. सिब्बल का तर्क था कि इन चुनावों में इस्तेमाल होने वाले बैलेट पेपर नोटा के लिए कोई सांविधानिक प्रावधान नहीं है.

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई की, लेकिन नोटा के खिलाफ याचिका दायर करने में कांग्रेस की तरफ से देरी का जिक्र करते हुए उसे तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया. पीठ ने सिब्बल से पूछा, 'चुनाव आयोग ने जनवरी 2014 में ही इस बाबत नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके बाद कई राज्यसभा चुनाव हुए, तब आप कहां थे और अब जबकि यह आपके फेवर में नहीं जा रहा तो इसे चुनौती दे रहे हैं.'

इस पर सिब्बल ने अपनी जिरह में कहा कि अगर नोटा पर स्टे नहीं लगाया गया तो इससे भ्रस्टाचार और बढ़ेगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राज्यसभा चुनाव में NOTA के प्रावधान की संवैधानिकता के सवाल पर सुनवाई के लिए तैयार है, लेकिन सवाल ये है कि बस गुजरात के राज्यसभा चुनाव के लिए ही यह याचिका क्यों?

इस दौरान चुनाव आयोग ने भी कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद NOTA का प्रावधान किया गया है और उसके बाद कई चुनाव हुए जिसमें NOTA का इस्तेमाल भी हो हुआ.



दरअसल गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव में बीजेपी ने अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बलवंतसिंह राजपूत को उतारा, वहीं कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी के लिए राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल चुनाव मैदान हैं. हालांकि यहां कांग्रेस के 6 विधायकों के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को फूट की आशंका है और ऐसे में वह आगे किसी भी तरह के नुकसान से बचने की कोशिश कर रही है और इसी के तहत उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

दरअसल, राज्यसभा चुनाव में विधायकों को अपना बैलट पेपर बॉक्स में डालने से पहले उसे पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाना पड़ता है. चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, अगर कोई विधायक पार्टी के निर्देश का उल्लंघन कर किसी दूसरे के पक्ष में वोट डालता है या नोटा का इस्तेमाल करता है तो उसे विधायक के रूप में अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता. हालांकि, पार्टी उसे निकालने समेत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए आजाद है. हालांकि वह विधायक बना रह सकता है. उसके वोट को पार्टी निर्देशों का पालन नहीं होने के बावजूद अमान्य करार नहीं दिया जा सकता.
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