डोकलाम विवाद के साथ आसान नहीं होगा जिनपिंग और मोदी के लिए ब्रिक्स देशों की बैठक - china india doklam brics narendra modi xi jinping

बीजिंग: चीन और भारत के बीच डोकलाम विवाद के कारण दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है. चीनी मीडिया इस मुद्दे पर लगातार भारत पर हमलावर रहा है, वहीं चीन ने मंगलवार को भी इस मुद्दे पर 15 पेज का बयान जारी किया था. ऐसी स्थिति में सितंबर माह में होने वाली ब्रिक्स देशों की बैठक में जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे, तो उनके लिए यह काफी आसान नहीं होगा. ब्रिक्स की बैठक होने से पहले चीन इस मुद्दे को थोड़ा शांत करना चाहेगा. ये बैठक चीन के शियामेन शहर में होगी.




आपको बता दें कि अपने 15 पेज के बयान में चीन ने भारत को बिना किसी शर्त के अपनी सेना को डोकलाम से हटाने को कहा है. चीन ने आरोप लगाया है कि भारत भूटान को एक बहाने के तौर पर ही इस्तेमाल कर रहा है, अगर चीन और भूटान के बीच में कोई विवाद है, तो दोनों देशों के बीच ही रहना चाहिए. भारत का इसमें कोई रोल नहीं है.

चीन ने अपने बयान में कहा कि भारत इस मुद्दे पर एक तीसरी पार्टी के तौर पर एंट्री कर रहा है. डोकलाम के बहाने भारत जो इस मुद्दे में एंट्री कर रहा है वह सिर्फ चीन की संप्रभुता ही नहीं बल्कि भूटान की आजादी और संप्रभुता को भी चुनौती दे रहा है. चीन का यह बयान उन्हीं बयानों की तरह है जो विवाद के बाद से ही लगातार पीएलए और विदेश मंत्रालय की ओर से दिया जा रहा था.



विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस मुद्दे पर भारत का रुख और संबंधित तथ्य 30 जून के वक्तव्य में पेश कर दिए गए हैं. चीन के दस्तावेज के सवाल विदेश मंत्रालय ने बताया ''चीन के साथ हमारे द्विपक्षीय रिश्तों के सुधार में दोनों देशों के सीमाई इलाकों में अमन-शांति अहम पूर्वशर्त है.' भारत ने डोकलाम में सड़क निर्माण पर भी चिंता जाहिर की है. विदेश मंत्रालय ने अंदेशा जताया है कि यहां सड़क निर्माण से चीन को पूर्वोत्तर राज्यों तक भारत की पहुंच काटने का मौका मिल सकता है.
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