भारतीय मज़दूर संघ और भारतीय किसान संघ ने भी उठाए नोटबंदी पर सवाल - the voices raised within the rss against the notbandi

नई दिल्ली: नोटबंदी के दौरान बंद किए गए 1,000 और 500 रुपये के क़रीब 99 फ़ीसदी नोटों के वापस सिस्टम में आने के बाद से इसके औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं. विपक्ष तो सवाल उठा ही रहा था, अब आरएसएस से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ और भारतीय किसान संघ ने भी नोटबंदी पर सवाल उठाए हैं. भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नारायणन ने कहा कि देश की 25% आर्थिक गतिविधि पर नोटबंदी का बुरा असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि सबसे ज़्यादा असर असंगठित सेक्टर पर इसका असर हुआ है.



भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, छोटे उद्योग और कृषि क्षेत्र में दिहाड़ी मज़दूरों पर नोटबंदी का सबसे बुरा असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि अब सरकार नोटबंदी से प्रभावित लाखों मज़दूरों के लिए बजट में विशेष प्रावधान का एलान करे. उन्होंने कहा कि मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी बढा़ई जाय और उनके लिए सामाजिक सुरक्षा की नीति लागू की जाए.



भारतीय किसान संघ के सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर कृषि क्षेत्र के मजदूरों पर पड़ा है. उन्होंने कहा कि किसानों पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद सरकार के रेवेन्यू कलेक्शन में काफी बढ़ोतरी हुई है. हमारी सरकार से मांग है कि सरकार बढ़ी हुई कमाई से एक स्पेशल फंड बनाए और किसानों को जीरो फीसदी पर लोन मुहैया कराया जाए.उन्होंने कहा कि सरकार को कृषि क्षेत्र के लिए बजट भी बढ़ाना चाहिए. अभी यह 1% से भी कम है.

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