कर्नाटक: कांग्रेस-JDS में मंत्री पद ही नहीं शपथ ग्रहण की VIP सीटों को लेकर भी खींचतान- karnataka-congress-jds-coalition

कर्नाटक की राजनीति में बुधवार को जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के वजूद में आने के साथ ही एक नया अध्याय शुरू होगा. जहां एक तरफ मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी के साथ ही डिप्टी सीएम और स्पीकर जैसे पदों के लिए दोनों पार्टियों में सहमति बनना अभी बाकी है, वहीं दूसरी ओर शपथ ग्रहण समारोह को देखने के लिए लगाई जाने वाली वीआईपी सीटों पर भी अधिक हिस्सेदारी के लिए दोनों पार्टियों में खींचतान चल रही है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस विधायक दल की बैठक में विधायकों ने जोर दिया कि मंत्रिमंडल में उनकी पार्टी को वाजिब हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. इन विधायकों का कहना था कि बुधवार को शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के एक डिप्टी सीएम या पार्टी के मंत्रियों को भी शपथ दिलाई जानी चाहिए. इन विधायकों का कहना था कि वो चुनाव में जेडीएस के साथ तीखी लड़ाई के बाद जीते हैं और अगर कांग्रेस के किसी मंत्री को बुधवार को शपथ नहीं दिलाई जाती है, तो ये उनके लिए असहज स्थिति होगी. कर्नाटक की सत्ता में भागीदारी ही नहीं, कांग्रेस को शपथ ग्रहण समारोह को देखने के लिए लगने वाली करीब 6000 वीआईपी सीटों को लेकर भी चिंता है कि उसके खाते में कितनी सीटें आएंगी. कांग्रेस के राज्यस्तरीय नेता जेडीएस के तौर तरीकों का अच्छी तरह वाकिफ हैं. सूत्रों के मुताबिक इन कांग्रेस नेताओं को लगता है कि कहीं जेडीएस अपने नेताओं के लिए अधिक सीटों पर कब्जा न कर ले. ऐसे में पर्याप्त संख्या में पार्टी नेताओं के लिए वीआईपी सीटें सुरक्षित कर पाने को लेकर भी कांग्रेस चिंतित है. कर्नाटक विधान सौध परिसर में जेडीएस की ओर से ऐसे कई पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें उसके गठबंधन में बड़े पार्टनर होने का आभास होता है. मालूम हो कि कर्नाटक में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद अब जेडीएस के कुमारस्वामी कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने जा रहे हैं. वो बुधवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 12 मई को मतदान हुए थे, जबकि 15 मई को नतीजे आए थे. इसमें 104 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि कांग्रेस को 78 सीटों और जेडीएस को 37 सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, जिसके चलते बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करके सरकार बना ली थी, लेकिन येदियुरप्पा विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहे. इसके बाद जेडीएस और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं. दोनों के कुल विधायकों की संख्या बहुमत से भी ज्यादा है.
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