चंद्रग्रहण: 27 जुलाई को कितने बजे से लगेगा सूतक, यहां जानें इसके मायने?-/july-27-lunar-eclipse

नई दिल्‍ली: इस बार की गुरु पूर्णिमा (27 जुलाई) काफी खास है, क्योंकि इसी दिन चंद्रग्रहण भी लग रहा है. इसलिए इस चंद्रग्रहण के मायने आम लोगों के जीवन में कई ज्यादा खास हो जाते हैं. 27 जुलाई को लगने वाले चंद्र ग्रहण की अवधि 3 घंटे 55 मिनट की होगी. इस चंद्रग्रहण को सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण कहा जा रहा है. पंडित भरत दुबे शास्त्री ने बताया कि शुक्रवार को यह रात 11 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर सुबह 3:49 बजे खत्म होगा. यह चंद्रग्रहण 3 घंटे 54 मिनट तक चलेगा. दोपहर 2:55 बजे से सूतक लगेगा. उधर, आषाढ़ माह की अमावस्या (13 जुलाई) को सूर्यग्रहण भी पड़ रहा है. जो भारत में दिखाई नहीं देगा. ऑस्ट्रेलिया, मेलबॉर्न, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रिया के उत्तरी भाग में नजर आएगा. वहीं, 11 अगस्त को लगने वाला सूर्यग्रहण चीन, तिब्बत, नार्वे और मंगोलिया में दिखेगा. सूतक काल के बारे में धार्मिक मान्‍यता सूतक काल का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य और चंद्रग्रहण दिखाई देने पर सूतक के कई मायने हैं. सूर्यग्रहण में सूतक का प्रभाव लगभग 12 घंटे पहले शुरू हो जाता हैं. वहीं चंद्र ग्रहण में यह अवधि 9 घंटे की हो जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए इस दौरान कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य करने से बचना चाहिए. गुरु पूर्णिमा 2018 पर बन रहा है ये संयोग, 18 साल बाद पूर्णिमा के दिन लग रहा है ग्रहण कब होता है चंद्र ग्रहण? चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रतिच्छाया में आ जाता है. ऐसे में सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में आ जाते हैं. चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण हमेशा साथ-साथ होते हैं और सूर्यग्रहण से दो सप्ताह पहले चंद्रग्रहण होता है. चंद्रग्रहण के कारण बदला मथुरा के बांकेबिहारी मंदिर के दर्शन का समय वैज्ञानिक मान्यता ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसलिए यह समय को अशुभ माना जाता है. इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं. भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं. सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण आज, गंगा घाटों पर दोपहर में होगी विशेष आरती पौराणिक मान्यता ज्योतिष के अनुसार राहु ,केतु को अनिष्टकारण ग्रह माना गया है. चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है. इस कारण सृष्टि इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है. ग्रहण के दौरान ये न करें - - ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए. - ग्रहण के दौरान सोना भी नहीं चाहिए. - ग्रहण को नग्न आखों से न देखें - चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत है. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक हैं.
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