कांग्रेस
नेता मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहने के दौरान बेहतर जीडीपी ग्रोथ
दिखाने वाली रिपोर्ट को सरकारी वेबसाइट से हटा लिया गया है. इस रिपोर्ट में
यूपीए सरकार के दौरान जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों को काफी अच्छा बताया गया
था. केन्द्र सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने अपनी
वेबसाइट से इस रिपोर्ट को हटा दिया है.
मोदी सरकार ने जीडीपी का आकलन करने के लिए आधार वर्ष 2010-11 कर दिया था.
जबकि यूपीए सरकार के काल में यह 2004-05 था. यूपीए के काल में बेहतर जीडीपी
ग्रोथ दिखाने वाली यह रिपोर्ट मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर 25 जुलाई को
प्रकाशित की गई थी.
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 2010-11 के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था
10.8 फीसदी की दर से बढ़ी है. अगर इसके लिए इसी आधार को मानक मान लिया जाए.
बता दें कि इस दौरान मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे.
इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग
शुरू हो गई. पिछले हफ्ते इस रिपोर्ट को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी.
चिदंबरम ने कहा, 'GDP के बैक सीरीज कैल्कुलेशन ने सच्चाई बयां कर दी है.
इससे साबित हो गया है कि आर्थिरक तेजी के सबसे अच्छे दिन यूपीए काल 2004-14
के बीच था.''
उन्होंने आगे कहा था कि मैं मोदी सरकार को इसके पांचवें साल के लिए
शुभकामनाएं देता हूं. यह सरकार यूपीए 1 का कभी मुकाबला नहीं कर सकती. लेकिन
मैं इतनी उम्मीद जरूर करुंगा कि ये कम से कम यूपीए 2 के बराबर तो आए.
हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर पोस्ट के जरिए कहा कि देश
में 2003 से 2008 के बीच उच्च विकास दर रही है. हालांकि जेटली ने दावा
किया कि यह विकास दर 2004 से पहले अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुए
काम का नतीजा है. जेटली ने दावा किया कि वाजपेयी सरकार ने 1991 में आर्थिक
सुधार की शुरुआत को अपने कार्यकाल के दौरान जारी मजबूती से जारी रखा जिसके
चलते देश में निर्यात में अच्छे सुधार के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भारतीय
अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है.
हालांकि 2014 के आम चुनावों में यूपीए सरकार पर अर्थव्यवस्था को सुस्त करने
का आरोप लगाया और आंकड़ों के जरिए लोगों को भरोसा दिलाया कि मनमोहन सिंह
सरकार के कार्यकाल के अंत तक देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी थी.
लेकिन अब जारी नई जीडीपी आंकड़ों की माने तो बीजेपी का यह वार पूरी तरह से
खोखला साबित हो रहा है. इन आंकड़ों के मुताबिक, मनमोहन सरकार के आखिरी दो
साल के दौरान तेज रफ्तार देखने को मिली थी.
जहां पुराने आंकड़ों के आधार पर वित्त वर्ष 2013-14 में 4.7 फीसदी की ग्रोथ
दर्ज हुई वहीं नए जीडीपी आंकड़ों में यह ग्रोथ 6.9 फीसदी दर्ज हुई है.
लिहाजा, आर्थिक सुस्ती और बेरोजगारी का जो आरोप कांग्रेस सरकार पर लगाया
गया उसे नया जीडीपा आंकड़ा पूरी तरह से निराधार बता रहा है. इसके बावजूद
महज वोटरों को खराब आर्थिक स्थिति का विश्वास दिलाते हुए बीजेपी ने
कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंका.
गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के
रीसर्च शाखा ने नए जीडीपी आंकड़ों का अध्ययन करते हुए कहा है कि वित्त वर्ष
2010-11 के दौरान देश में आर्थिक विकास दर 10.8 फीसदी दर्ज की गई. लिहाजा,
स्टेट बैंक ने दलील दी है कि इस उंची विकास दर के चलते इस दौरान देश में
उच्च महंगाई दर का होना स्वाभाविक है.
ऐसे में राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है. माना जा रहा है कि 2019 के आम
चुनावों से पहले जारी हुए जीडीपी के ये नए आंकड़े विपक्ष में बैठी कांग्रेस
को सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ आवाज बुलंद करने में मदद करेगा.
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2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए वरदान साबित होगा GDP का नया आंकड़ा?-new-gdp-number-released
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