ट्रेड यूनियनों की राष्‍ट्रव्‍यापी हड़ताल में 15 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने का दावा - Today trade union nationwide strike

देश के प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने कहा है कि दो सितंबर को आयोजित राष्ट्रव्यापी हड़ताल पिछले साल की तुलना में बड़ी होगी. उनका कहना है कि सरकार ने उनकी 12 सूत्री मांगों पर ध्यान नहीं दिया है और सरकार एकतरफा तरीके से श्रम सुधार लागू कर रही है. केंद्रीय संगठनों ने दावा किया है कि इस साल हड़ताल में करीब 15 करोड़ श्रमिक शामिल होंगे.

बैकिंग, टेलीकॉम और कई अन्‍य क्षेत्रों के कर्मचारी शुक्रवार को हड़ताल पर रहेंगे. यह कर्मचारी बेहतर वेतन के साथ सरकार की नई श्रमिक और निवेश नीतियों के विरोध में यह कदम उठा रहे हैं. बैंक, सरकारी ऑफिस और फैक्‍टरियां बंद रहेंगी. कुछ राज्‍यों में स्‍थानीय संगठनों ने भी हड़ताल में भागीदारी का फैसला किया है. इसके कारण सार्वजनिक परिवहन व्‍यवस्‍था पर भी असर पड़ सकता है. इनके साथ-साथ रेडियोलॉजिस्‍टों और सरकारी अस्‍पतालों की नर्सों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है.

आल इंडिया ट्रेड यूनियंस कांग्रेस और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस जैसे संगठनों ने हड़ताल नहीं करने की सरकार की अपील को ठुकरा दिया था. इन संगठनों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने में नाकाम रही है. इन संगठनों की आपत्ति बीमा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश के नियमों के शिथिल करने को लेकर है. घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की योजना का भी श्रमिक संगठन विरोध कर रहे हैं.

ट्रेड यूनियनों की हड़ताल को खत्‍म करने के प्रयासों के तहत वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा था कि सरकार अपने कर्मचारियों का पिछले दो साल का बोनस जारी करेगी. इसके साथ अकुशल श्रमिकों के न्‍यूनतम वेतन में इजाफे की बात भी कही गई है.

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के छह कर्मचारी संगठनों ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की शुक्रवार की हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. सरकार की 'श्रम विरोधी नीतियों' के विरोध में ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया है. कई बैंकों ने पहले ही अपने ग्राहकों को होने वाली असुविधा के बारे में सूचना दे दी है.

ऑल इंडिया बैंक इंप्लायज एसोसिएशन (एआईबीईए), बैंक इंप्लायज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई), ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए), ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स कान्फेडरेशन (एआईबीओसी) तथा इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी) जैसे संगठनों ने नोटिस दिये हैं. भारतीय स्टेट बैंक समेत अधिकतर बैंकों का मानना है कि अगर हड़ताल होती है तो उनकी सेवा प्रभावित हो सकती है.

अपने लंबित मुद्दों पर गुरुवार को केंद्र के साथ कोई हल नहीं होने पर देश भर में रेडियो‍लॉजिस्‍ट भी हड़ताल पर जायेंगे. इस हड़ताल से अल्ट्रासोनोग्राफी और अन्य स्कैन प्रक्रियाएं जैसी रेडियोलॉजी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी.

आईआरआईए के अध्यक्ष ओपी बंसल ने कहा, ''सरकार ने हमारी मांगों पर दो-तीन महीने में गौर करने का आश्वासन दिया लेकिन ठोस वादा नहीं किया. अतएव हमने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है.''

देश भर में सरकारी अस्पतालों की लाखों नर्सें भी बेमियादी हड़ताल पर जा रही हैं. ये नर्सें ऐसे समय में हड़ताल पर जा रही हैं जब दिल्ली और कई अन्य शहर डेंगू एवं चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों से जूझ रहे हैं. ये नर्सें वेतन और भत्तों से जुड़े मुद्दों का निपटान चाहती हैं.

आल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन के प्रवक्ता लीलाधर रामचंदानी ने कहा, ''हम सरकार के जवाब से खुश नहीं हैं, इसलिए हम शुक्रवार से अपनी प्रस्तावित हड़ताल पर आगे बढ़ने जा रहे हैं. लेकिन हम आपात स्थिति वाले नाजुक मामलों को देखेंगे.'' दिल्ली में केंद्र, दिल्ली सरकार और नगर निकायों द्वारा संचालित सरकारी अस्पतालों में करीब 20,000 नर्सें कार्यरत हैं.
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