नई दिल्ली
:भारत ने अपने जॉब के आंकड़ों को दुरुस्त करने के लिए अनपेड महिलाओं के काम को भी रोजगार के तौर पर मानने की तैयारी की है। खासतौर पर महिलाओं की ओर से किए जाने वाले घरेलू कामों की मैपिंग की जाएगी। नैशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के महानिदेशक देबी प्रसाद मंडल ने एक इंटरव्यू में बताया कि सरकार ने जनवरी से एक साल तक ऐसा सर्वे कराने की योजना बनाई है। इसमें पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि घरेलू महिलाएं किस तरह से अपना समय घर में बिताती हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इस सर्वे के नतीजों को जून 2020 में रिलीज किया जाएगा और हर तीन साल में एक बार ऐसा सर्वे कराया जाएगा। मंडल ने कहा, 'इससे हम यह जान सकेंगे कि महिलाएं कुकिंग और कपड़े धोने जैसे कामों में कितना वक्त देती हैं।' इन नतीजों से पॉलिसीमेकर्स को यह जानने में मदद मिलेगी कि इकॉनमी में रोजगार की क्या स्थिति है और वेलफेयर प्रोग्राम्स किस तरह से चलाए जा सकते हैं।
दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत में इकॉनमी के डेटा में खासा अंतर है। इसके चलते यह जानने में मुश्किल होती है कि आखिर महत्वपूर्ण सेक्टरों में जॉब की क्या स्थिति है। खासतौर पर मार्केट, रिटेल और हाउसिंग के बारे में यह सटीक पता नहीं चल पाता। भारत की करीब 70 करोड़ की आबादी यानी अमेरिका से दोगुनी जनसंख्या वर्कफोर्स का हिस्सा ही नहीं है। खासतौर पर महिलाओं की बात करें तो घर में किए गए उनके कामों को राष्ट्रीय आय में नहीं जोड़ा जाता।
Home
Business
News
Politics
घरेलू महिलाओं के काम को नौकरी के आंकड़ों में शामिल करने की तैयारी में सरकार- womens-work-in-house-will-count-in-job-data
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments:
Post a Comment