लखनऊ: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भले ही सार्वजनिक मंचों से यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की तारीफ करते रहे हैं, लेकिन बुधवार को मामला इसके उलट दिखा. लखनऊ दौरे पर आए अमित शाह ने योगी सरकार के कामकाज पर नाराजगी जाहिर की. अमित शाह ने बुधवार को 5 कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर राज्य के मंत्रियों और विधायकों के साथ बैठक की. सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में उन्होंने स्पष्ट शब्दों में नाराजगी जाहिर की. बताया जा रहा है कि शाह ने यूपी के सांसदों और विधायकों को अल्टीमेटम दिया कि उनके खिलाफ क्षेत्र से जो भी शिकायतें मिल रही हैं, उन्हें दूर करें.
बीजेपी अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम के साथ बैठकर सरकार के कामकाज को ठीक करने की चेतावनी भी दी. उन्होंने सरकार और संगठन के प्रमुख लोगों से भी बात की. इस दौरान शाह के तेवर काफी सख्त थे. उन्होंने कुछ मंत्रियों के कामकाज पर भी नाराजगी जाहिर की.
अमित शाह ने सीएम योगी समेत तमाम मंत्रियों से कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर जो भी सवाल उठ रहे हैं, उन्हें दूर किया जाए. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि वे जल्द सारी शिकायतों को दूर करें, वे 15 दिन बाद फिर से यूपी आएंगे, तब ये शिकायतें नहीं आनी चाहिए.
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के चार दलित सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की थी कि सीएम योगी उनकी बातें नहीं सुनते हैं. इसके बाद ही अमित शाह ने लखनऊ का दौरा करने का फैसला लिया था.
अमित शाह ने यूपी कैबिनेट के सदस्य और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से भी मुलाकात की. राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले ओमप्रकाश राजभर ने सार्वजनिक रूप से मौजूदा बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया था, जिसके बाद अमित शाह के कहने पर उन्होंने एनडीए से अलग होने का फैसला बदल लिया था. इस बार अमित शाह से मुलाकात के दौरान ओमप्रकाश राजभर ने अपनी 7 मांगें उनके सामने रखी दी.
ओमप्रकाश राजभर ने शाह के सामने रखी ये 7 डिमांड
1. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ऑफिस के लिए भवन मुहैया कराई जाए.
2. प्रदेश में अधिकारियों की ओर से सुनवाई नहीं की जाती, अधिकारी फोन नहीं उठाते. अफसर फोन रिसीव करने में कोताही न करें, यह बात सुनिश्चित किया जाए.
3.पिछड़ी जातियों के 27 फीसदी आरक्षण में विभाजन किया जाए या पिछली सरकार की ओर से 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव पास किया जाए।
4. राशन कार्ड, आवास, शौचालय, पेंशन पात्र व्यक्तियों को उपलब्ध कराई जाए.
5. परिषदीय विद्यालयों में खाली पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति की जाए.
6: सरकार के विभिन्न विभागों में दिव्यांग जनों का कोटा विशेष अभियान चलाकर नियमित नियुक्ति कर भरा जाए.
7: दिव्यांग जनों को मोटराइज्ड ट्राई साइकिल हर विधानसभा में कम से कम 500 उपलब्ध कराए जाएं.
मालूम हो कि करीब सालभर बाद लोकसभा चुनाव हैं. राजनीतिक लिहाज से उत्तर प्रदेश काफी उपयोगी राज्य है. 2014 के लोकसभा चुनाव में अमित शाह यूपी बीजेपी के प्रभारी बनाए गए थे. अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी ने राज्य की 80 में से 72 सीटों पर जीत दर्ज की थी. अब तक के राजनीतिक घटनाक्रम में आगामी आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ने की संभावना है. ऐसे में अमित शाह हर हाल में यूपी की ज्यादातर सीटें जितना चाहते हैं.
उन्नाव गैंगरेप मामले में पिछले कुछ दिनों से प्रदेश सरकार पर आरोप लग रहे थे कि वह आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बचाया जा रहा है. अमित शाह के लखनऊ दौरे से ठीक एक दिन पहले सीएम योगी ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन कर दिया. इसके बाद गुरुवार देर शाम को शाह के लखनऊ से लौटने के कुछ देर बाद ही कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दिया गया.
बीजेपी अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम के साथ बैठकर सरकार के कामकाज को ठीक करने की चेतावनी भी दी. उन्होंने सरकार और संगठन के प्रमुख लोगों से भी बात की. इस दौरान शाह के तेवर काफी सख्त थे. उन्होंने कुछ मंत्रियों के कामकाज पर भी नाराजगी जाहिर की.
अमित शाह ने सीएम योगी समेत तमाम मंत्रियों से कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर जो भी सवाल उठ रहे हैं, उन्हें दूर किया जाए. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि वे जल्द सारी शिकायतों को दूर करें, वे 15 दिन बाद फिर से यूपी आएंगे, तब ये शिकायतें नहीं आनी चाहिए.
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के चार दलित सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की थी कि सीएम योगी उनकी बातें नहीं सुनते हैं. इसके बाद ही अमित शाह ने लखनऊ का दौरा करने का फैसला लिया था.
अमित शाह ने यूपी कैबिनेट के सदस्य और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से भी मुलाकात की. राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले ओमप्रकाश राजभर ने सार्वजनिक रूप से मौजूदा बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया था, जिसके बाद अमित शाह के कहने पर उन्होंने एनडीए से अलग होने का फैसला बदल लिया था. इस बार अमित शाह से मुलाकात के दौरान ओमप्रकाश राजभर ने अपनी 7 मांगें उनके सामने रखी दी.
ओमप्रकाश राजभर ने शाह के सामने रखी ये 7 डिमांड
1. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ऑफिस के लिए भवन मुहैया कराई जाए.
2. प्रदेश में अधिकारियों की ओर से सुनवाई नहीं की जाती, अधिकारी फोन नहीं उठाते. अफसर फोन रिसीव करने में कोताही न करें, यह बात सुनिश्चित किया जाए.
3.पिछड़ी जातियों के 27 फीसदी आरक्षण में विभाजन किया जाए या पिछली सरकार की ओर से 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव पास किया जाए।
4. राशन कार्ड, आवास, शौचालय, पेंशन पात्र व्यक्तियों को उपलब्ध कराई जाए.
5. परिषदीय विद्यालयों में खाली पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति की जाए.
6: सरकार के विभिन्न विभागों में दिव्यांग जनों का कोटा विशेष अभियान चलाकर नियमित नियुक्ति कर भरा जाए.
7: दिव्यांग जनों को मोटराइज्ड ट्राई साइकिल हर विधानसभा में कम से कम 500 उपलब्ध कराए जाएं.
मालूम हो कि करीब सालभर बाद लोकसभा चुनाव हैं. राजनीतिक लिहाज से उत्तर प्रदेश काफी उपयोगी राज्य है. 2014 के लोकसभा चुनाव में अमित शाह यूपी बीजेपी के प्रभारी बनाए गए थे. अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी ने राज्य की 80 में से 72 सीटों पर जीत दर्ज की थी. अब तक के राजनीतिक घटनाक्रम में आगामी आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ने की संभावना है. ऐसे में अमित शाह हर हाल में यूपी की ज्यादातर सीटें जितना चाहते हैं.
उन्नाव गैंगरेप मामले में पिछले कुछ दिनों से प्रदेश सरकार पर आरोप लग रहे थे कि वह आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बचाया जा रहा है. अमित शाह के लखनऊ दौरे से ठीक एक दिन पहले सीएम योगी ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन कर दिया. इसके बाद गुरुवार देर शाम को शाह के लखनऊ से लौटने के कुछ देर बाद ही कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दिया गया.
0 comments:
Post a Comment