राजनीति में नया मोड़ लाएगी आप-कांग्रेस के बीच पक रही खिचड़ी, नेता बैठा रहे तालमेल- aap-congress-can-do-alliance

नई दिल्ली देशभर में 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में कई सीटों पर विपक्षी दलों के गठबंधन से हुई बीजेपी की हार में अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को भी संभावना दिख रही है। राजनीति संकेतों का खेल है और फिलहाल दोनों पार्टी के नेता आपस में संकेतों का खेल खेल रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने हाल में जहां पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह की तारीफ की है तो आप नेता दिलीप पांडे ने साफ कहा है कि कांग्रेस के नेता पार्टी से संपर्क में है। यानी इतना तो तय है कि 2019 में बीजेपी को साधने के लिए आप और कांग्रेस में कुछ न कुछ जरूर पक रहा है। उपचुनावों ने जताई उम्मीद उपचुनावों में गठबंधन की जीत से सभी विपक्षी दलों में एक उम्मीद जगी है। इस उम्मीद से दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच भी गठबंधन के कयास लगाए जा रहे हैं। शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन और आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडेय के ट्वीट ने इन अटकलों को और मजबूती दी। हालांकि, माकन के ट्वीट का दिलीप पांडेय की ओर से दिए गए जवाब से इतना तो साफ हो गया कि फिलहाल स्थिति क्लियर नहीं है। खासकर सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियां एक-दूसरे को कम आंक रही हैं। मगर, दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की बात जरूर हो रही है। कांग्रेस के स्थानीय नेता इस गठबंधन को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने एक सुर से इसे खारिज कर दिया। उपचुनाव: बीजेपी के लिए खतरे की घंटी, सीटें ही नहीं वोट शेयर भी घटा कांग्रेस 3 सीटों के कथित ऑफर की बात कर रही है तो ‘आप’ नेता कांग्रेस को एक सीट दे रहे हैं। समझौते किस तरह होगा यह तो समय बताएगा, लेकिन जानकारों का कहना है कि बीजेपी को हराना है तो गठबंधन करना ही होगा। इस बारे में अजय माकन ने कहा कि ‘आप’ की लोकप्रियता गिर रही है। एमसीडी और उपचुनाव में यह साफ हो गया है कि उनका वोट तेजी से कम हो रहा है और कांग्रेस का बढ़ रहा है। इस बारे में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने ‘आप’ के साथ गठबंधन पर कहा कि अभी यह बहुत जल्दी है। गठबंधन की बात हाइकमान को तय करनी है। उन्होंने कहा कि दूसरी पार्टी कौन होती है सीटें तय करने वाली। जो भी होगा कांग्रेस के आलाकमान की इच्छा से होगा। पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि समझौता बिल्कुल नहीं होना चाहिए। कांग्रेस दिल्ली में काफी मजबूत है। ‘आप’ का कांग्रेस से कोई मुकाबला नहीं है। अरविंदर सिंह लवली का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर सेकुलर पार्टियों का महागठबंधन बन रहा है। अरविंद केजरीवाल का इसमें कोई योगदान नहीं है, उन्होंने तो मोदी जैसे लोगों को आगे बढ़ाने के लिए आंदोलन किया। लवली ने कहा कि शीला दीक्षित के कामों की चर्चा आज भी होती है, लेकिन केजरीवाल ने झूठे करप्शन के आरोप लगाकर बीजेपी को आगे बढ़ाया, ऐसे लोगों से कांग्रेस का गठबंधन नहीं हो सकता। हारुन यूसुफ ने कहा कि गठबंधन हो ही नहीं सकता। 3 सीटों का ऑफर मानने को तैयार नहीं कांग्रेस आप और कांग्रेस के बीच दिल्ली के सातों लोकसभा सीटों पर एकसाथ चुनाव लड़ने की बात पिछले महीने उठी थी। उस समय कांग्रेस ने इस बात से इनकार किया था। मगर, पर्दे के पीछे की कहानी यह है कि काफी समय से दोनों दलों के बीच गठबंधन की बातें हो रही हैं, जो सीटों के बंटवारे की लड़ाई की वजह से सामने आ गई है। कांग्रेस के शीर्ष नेता, नरेंद्र मोदी को केंद्र से हटाने के लिए हर कुछ भी करने के लिए तैयार हैं, वहीं प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को गठबंधन की वजह से अपना राजनीतिक करियर डूबता नजर आ रहा है। यह भी पढ़ें: उपचुनाव के नतीजों के बाद यूं बदलेगा शह-मात का खेल कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों और नेताओं में हलचल मच गई है। सभी नेताओं ने इसका विरोध किया। किसी ने भी समझौते को सही नहीं बताया, लेकिन किसी के पास इस बात का जवाब नहीं था कि क्या वे अकेले बीजेपी को हराने में सक्षम हैं। पुराना इतिहास अब बीती बात हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर होती थी, लेकिन अब त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है, जिससे बीजेपी को फायदा होता दिख रहा है। सर्वे में 'आप' की स्थिति खराब कांग्रेस नेताओं का कहना है कि ‘आप’ की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। एक नेता ने कहा कि कांग्रेस और ‘आप’ दोनों ने इंटरनल सर्वे कराया है। ‘आप’ की स्थिति खराब होती जा रही है। लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। 12वीं और 10वीं के रिजल्ट अब किसी से छिपे नहीं हैं। इससे उनका एजुकेशन पर काम करने का दावा भी गलत साबित हुआ है। सूत्रों का कहना है कि सच तो यह है कि ‘आप’ अपनी जमीन दिल्ली में बचाना चाह रही है, इसलिए उनकी तरफ से बार-बार ऐसी कोशिश की जा रही है। पंजाब उपचुनाव में भी उनकी हालत खराब ही रही। 2019 की तैयारी 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए आप ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने शुक्रवार सुबह दिल्ली की 5 लोकसभा सीटों के लिए इंचार्ज बना दिए हैं। इनकी जिम्मेदारी होगी कि वे इन लोकसभा सीटों में कार्यकर्ताओं के साथ जमीनी स्तर पर काम करके बूथ लेवल पर पार्टी को मजबूत करें और नए लोगों को पार्टी के साथ जोड़ें। इसे लोकसभा चुनावों की तैयारियों के लिए बड़ा कदम बताया जा रहा है। पार्टी की तरफ से बताया गया कि 5 सीनियर नेताओं को 5 लोकसभा सीटों में संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी के दिल्ली प्रभारी गोपाल राय ने कहा कि लोकसभा चुनावों को देखते हुए बूथ लेवल पर पार्टी को मजबूत करने के लिए प्रभारियों की नियुक्ति की गई है। वे चुनाव की तैयारियों की रणनीति बनाने का काम करेंगे। जिन 5 नेताओं के नामों की घोषणा की गई है, उनमें से कुछ के नाम संभावित उम्मीदवारों के रूप में भी सामने आए थे। माना जा रहा है कि ये पांचों नेता इन सीटों से लोकसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं। इनमें से कुछ नेताओं ने पिछले दिनों में इन सीटों में अपनी गतिविधियां भी बढ़ा ली हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और नॉर्थ-ईस्ट लोकसभा सीट के इंचार्ज बनाए गए दिलीप पांडे ने कहा कि अभी कहना जल्दबाजी होगा कि जिन्हें इंचार्ज बनाया गया है, उनमें से कौन चुनाव लड़ेगा। अगर कोई इंचार्ज चुनाव लड़ने के लिए फिट है तो कोई पाबंदी नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि कैंडिडेट पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी ही तय करेगी। बाकी 2 सीटों को खाली छोड़ने को लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस के साथ संभावित गठबंधन के लिए 2 सीटों पर किसी को इंचार्ज नहीं बनाया है। हालांकि दिलीप पांडे का कहना था कि ऐसा कुछ नहीं है और जल्द ही इन सीटों के लिए भी प्रभारियों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी। अभी अपने सारे पत्ते नहीं खोलेगी 'आप' आम आदमी पार्टी के 5 सीटों पर ही प्रभारियों के नामों की घोषणा किए जाने के बाद अचानक राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। सवाल उठ रहा है कि क्या अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में बीजेपी को रोकने के लिए पार्टी दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी। यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि खुद आप नेताओं ने माना है कि कांग्रेस के साथ संभावित गठबंधन को लेकर उनके वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस की टॉप लीडरशिप के बीच बातचीत हुई है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस और आप की टॉप लीडरशिप के बीच दिल्ली में मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर बातचीत चल रही है, क्योंकि हमारा मुख्य एजेंडा हर हाल में बीजेपी को रोकने का है। इस नेता का यह भी दावा है कि यह सारा डिवेलपमेंट कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथ लेने के बाद पिछले एक हफ्ते के दौरान हुआ है। साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन को बाईपास करके सीधे पार्टी के टॉप नेतृत्व के साथ यह बातचीत चल रही है। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों इसी सिलसिले में आप के सर्वोच्च नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच भी सीटों के बंटवारे पर एक मीटिंग हुई थी। कांग्रेस और आप का यह गठबंधन सिर्फ दिल्ली तक सीमित रहेगा या पंजाब और हरियाणा जैसे उन दूसरे राज्यों में होगा, इसे लेकर भी आप नेताओं ने अभी अपने सारे पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि आप नेता दावा कर रहे हैं कि इन राज्यों में भी गठबंधन के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से सहयोग मांगा है। जहां तक दिल्ली का सवाल है, तो यहां सीटों के बंटवारे को लेकर अभी आप नेता कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है। हालांकि उन्होंने इतना जरूर माना है कि कांग्रेस को दिल्ली में एक सीट देने को लेकर बातचीत जरूर हुई है, लेकिन उस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है और ना ही यह तय हुआ है कि कौन सी सीट कांग्रेस को दी जाएगी। इस बीच आप विधायक अलका लांबा ने अपने ट्वीट में दावा किया है कि कांग्रेस दो सीटें मांग रही थीं, जबकि आम आदमी पार्टी के कुछ सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस दिल्ली में तीन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, मगर आम आदमी पार्टी उसे इतनी सीटों पर समर्थन देने के लिए तैयार नहीं है।
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